हल्की फुलकी ग़ज़ल पेश है दोस्तों
बर्फ दिल में जब जमी होती,
तभी आँखों में नमी होती।
धुँआ उठता जब आग जलती,
हवा चलती कब थमी होती।
फकत मिलते हाथ हाथों से,
दिलों में दूरी बनी होती।
हसीं मौसम देख मत इतरा,
ख़ुशी गम की भी सगी होती।
खता होती है हमारी भी,
सिर्फ उसकी कब कमी होती।"रैना"
बर्फ दिल में जब जमी होती,
तभी आँखों में नमी होती।
धुँआ उठता जब आग जलती,
हवा चलती कब थमी होती।
फकत मिलते हाथ हाथों से,
दिलों में दूरी बनी होती।
हसीं मौसम देख मत इतरा,
ख़ुशी गम की भी सगी होती।
खता होती है हमारी भी,
सिर्फ उसकी कब कमी होती।"रैना"
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