चाहे काँटों का दामन थाम लीजिये,
मगर पत्थरों को न फूलों का नाम दीजिये."रैना"
जब से तुझ पे फ़िदा हुआ है,
दिल जिस्म से जुदा हुआ है."रैना"
मान्निद शमा के न पिघलना सीखा,
यूँ मौसम की तरह न बदलना सीखा.
बेशक फना होते लोग इक बार गिर के,
हमने तो गिर गिर कर है संभलना सीखा. "रैना"
मगर पत्थरों को न फूलों का नाम दीजिये."रैना"
जब से तुझ पे फ़िदा हुआ है,
दिल जिस्म से जुदा हुआ है."रैना"
मान्निद शमा के न पिघलना सीखा,
यूँ मौसम की तरह न बदलना सीखा.
बेशक फना होते लोग इक बार गिर के,
हमने तो गिर गिर कर है संभलना सीखा. "रैना"
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