Friday, November 4, 2011

jindgi jine ke liye

जिन्दगी जीने के लिए मरने की बात क्यों,
मौत तो लाजिमी फिर डरने की बात क्यों.
मिल बैठे जो प्यार से मसले हो जाये हल,
बेवजह तकरार फिर लड़ने की बात क्यों.
जब खता हमने की फिर सजा मिले हमे,
इल्जाम दूसरों के सर धरने की बात क्यों.
प्यार मोहब्बत से ही हासिल हो बुलंदियां,
फिर नफरत का पाठ पढ़ने की बात क्यों.
"रैना" नेक राह पे मिले मंजिल मकसूद,
फिर राह गलत कर्म करने की बात क्यों."रैना"

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