Sunday, November 13, 2011

pyas dil ki bujha n

प्यास दिल की तो बुझा न पाये,
ख्वाब देखा मगर सजा न पाये.
प्याले जाम से भरे  थे लेकिन,
रिंद हाथ आगे मगर बढ़ा न पाये.
रहे बैठे हम तन्हा गुप अँधेरे में,
शमा पास फिर भी जला न पाये.
रस्मो रिवाज की मजबूत दीवारे,
करी कोशिश मगर गिरा न पाये.
दर किनार की है असूल की बातें,
रहे सोते खुद को ही जगा न पाये.
रैना" बेचैन तो रहे चैन से लगता,
उसे तो गम भी कभी सता न पाये."रैना"

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