तेरी याद कभी जून महीने की धूप बन के जलाती है,
और कभी पूर्णमासी के चंद्रमा सी ठंडक बरसाती है.
ये न पूछ तुझ से बिछुड़ के मैं दुःख कैसे जर रहा हूँ,
बर्फ में लग जाता हूँ कभी आग में जल सड़ रहा हूँ.
सच ये है तेरी याद में मैं तिल तिल के मर रहा हूँ. "रैना"
और कभी पूर्णमासी के चंद्रमा सी ठंडक बरसाती है.
ये न पूछ तुझ से बिछुड़ के मैं दुःख कैसे जर रहा हूँ,
बर्फ में लग जाता हूँ कभी आग में जल सड़ रहा हूँ.
सच ये है तेरी याद में मैं तिल तिल के मर रहा हूँ. "रैना"
No comments:
Post a Comment