तू करे है गुमान,
बता कैसा अभिमान,
यहां कुछ भी तो नही तेरा,
फिर काहे करे तू मेरा मेरा.
यहां कुछ भी तो ............
निपट झूठा तेरा सपना है,
ये तन भी न तेरा अपना है,
लगा काम में मरना खपना है,
उसे पल भर भी नही जपना है,
कैसे कटे लाख चौरासी का फेरा.
यहां कुछ भी तो .......................
नही समझी वजह क्या आने की,
कोई चिन्ता फिकर नही जाने की,
तेरी झूठी हसरत महल बनाने की,
करी कोशिश न खुद को बचाने की,
तुझे खबर है यहां चार दिन का डेरा.
यहां कुछ भी तो .........................."रैना"
सुप्रभात जी .......................good morning
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