Wednesday, December 28, 2011

beshak bhare dil ko

बेशक बहारें दिल को पसंद आती है,
मगर ये दिल पे खंजर भी चलाती है,
वैसे कश्ती को पार लगाती है लहरें,
मगर कभी लहरें कश्ती को डुबाती है."रैना"

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