Tuesday, December 27, 2011

sirf tlk lgane se uska


फकत दिखावे से उसके दीवानों में सुमार नही होता,
माथे तिलक गले माला से उसका दीदार नही होता,
बेशक जिसमें एक भी छेद हो जाता है मेरे दोस्त,
वो सफीना तो कभी भी दरिया से तो पार नही होता. "रैना"
सुप्रभात जी ..........................good morning ji

No comments:

Post a Comment