शाम ढलते ही,
शमा जलते ही,
परवाने मचलते ही,
उनका ख्याल आ गया,
होठों पे सवाल आ गया,
काश हम जुदा न होते,
फिर तो यूँ तन्हा न रोते. "रैना"
शमा जलते ही,
परवाने मचलते ही,
उनका ख्याल आ गया,
होठों पे सवाल आ गया,
काश हम जुदा न होते,
फिर तो यूँ तन्हा न रोते. "रैना"
No comments:
Post a Comment