Wednesday, December 7, 2011

stta ke gliyare me

सत्ता के गलियारे में छिड़ी जंग है,
भ्रष्टाचार राजनिति का अब अभिन्न अंग है.
टांगे खींच किसी की जड़े काट कर,
कुर्सी पाने का अब ये नया ढंग है.
स्वर्ग की समस्त सुख नेता भोग रहे,
महंगाई की दलदल में फंसी जनता तंग है.
नोटों से तोली जाती है इज्जत आबरू,
बदले जमाने का ये बदला रंग है.
नैतिकता का पतन करना जिसने सीख लिया,
राजनिति में ऊँची उड़ी उसकी पतंग है..........."रैना"

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