Wednesday, December 14, 2011

mohlat hai char din ki

मोहलत चार दिन की अब तो सुधार कर ले,
तू अपने मुसव्विर से दो घड़ी प्यार कर ले.
तू वीराने में क्यों भटके तुझे क्या मज़बूरी,
उससे प्रीत लगा के जीवन गुलजार कर ले.
ये तो तय मौत आये कब आये नही खबर है,
उसकी शरण में जाके उसका इंतजार कर ले.
नाम के बिना नही है यहां वहां पे तेरा गुजारा,
बैठ नाम की कश्ती"रैना"भवसागर पार कर ले."रैना"

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