Tuesday, December 6, 2011

kal n jane kha

कल न जाने कहां खो जाऊ गा,
मैं मिट्टी मिट्टी हो जाऊ गा.
तब डरेगे मुझको जगाने वाले,
मैं लम्बी तान के सौ जाऊगा.
कुछ तो खिल खिल के हंसेगे,
 कुछ की पलकें भिगो जाऊगा.
 तस्वीर तक सिमित रह जाऊ,
"रैना" फिर तो मैं वो हो जाऊ गा."रैना"

No comments:

Post a Comment