Friday, December 23, 2011

bhatkte rhe tere shahar me

भटकते रहे तेरे शहर में  ठिकाना न मिला,
जीने की तमन्ना थी मगर बहाना न मिला.
लाखों करोड़ो के दिल नही तो हाथ मिल गये,
हमको अपनी तबियत का जमाना न मिला.
मेरी जेब में पैसों की जब तलक रही खनक,
सारा शहर मेरा अपना कोई बेगाना न मिला.
इश्क की पढ़ाई करने वाले दुनियादारी में फेल,
बेशक हमें कोई भी आशिक सयाना न मिला.

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