अब तो हम इतना ही काम करते है,
रफ्ता रफ्ता जिंदगी तमाम करते है.
सुबह निकले उन्ही आगोश में यारों,
उनके पहलू में ही हम शाम करते है. "रैना"
बेशक परवाने ने सिर्फ जलना,मरना सीखा,
हमने जिंदगी की पथरीली राह पे चलना सीखा,
करीब से महसूस करके देखा तो एहसास हुआ,
मरना बहुत आसान है जीना तो बड़ा मुश्किल. "रैना"
आज कल
कुछ लोग बूढ़ी गाय को घर से निकाल देते,
कहते ???????????????
दूध नही देती,
और तो और बूढ़े माँ बाप को घर से बाहर करते,
कहते ??????????????
काम नही करते.
क्या वफा का यही इनाम है."रैना"
रफ्ता रफ्ता जिंदगी तमाम करते है.
सुबह निकले उन्ही आगोश में यारों,
उनके पहलू में ही हम शाम करते है. "रैना"
बेशक परवाने ने सिर्फ जलना,मरना सीखा,
हमने जिंदगी की पथरीली राह पे चलना सीखा,
करीब से महसूस करके देखा तो एहसास हुआ,
मरना बहुत आसान है जीना तो बड़ा मुश्किल. "रैना"
आज कल
कुछ लोग बूढ़ी गाय को घर से निकाल देते,
कहते ???????????????
दूध नही देती,
और तो और बूढ़े माँ बाप को घर से बाहर करते,
कहते ??????????????
काम नही करते.
क्या वफा का यही इनाम है."रैना"
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