Monday, April 29, 2013

aasan meri

दोस्तों के नाम प्यारी सी ग़ज़ल

आसान मेरी जिन्दगी का सफर होता,
गर दिल मिरा ये गुल नही पत्थर होता।
फिर तो चमन ही जिन्दगी का महक जाता,
जो बावफा हमदर्द वो हमसफर होता।
जब इश्क का वो रंग चढ़ता ढंग बदले,
इन्सान फिर खुद से परे बेखबर होता।
कुछ दौर ऐसा चल पड़ा बदली हवा है,
सब कुछ मिला फिर भी नही अब सबर होता।
'रैना"कभी तो सोच लेता बैठ तन्हा,
तू इस कदर नादां न यूं बेखबर होता।"रैना"


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