दोस्तों के नाम प्यारी सी ग़ज़ल
आसान मेरी जिन्दगी का सफर होता,
गर दिल मिरा ये गुल नही पत्थर होता।
फिर तो चमन ही जिन्दगी का महक जाता,
जो बावफा हमदर्द वो हमसफर होता।
जब इश्क का वो रंग चढ़ता ढंग बदले,
इन्सान फिर खुद से परे बेखबर होता।
कुछ दौर ऐसा चल पड़ा बदली हवा है,
सब कुछ मिला फिर भी नही अब सबर होता।
'रैना"कभी तो सोच लेता बैठ तन्हा,
तू इस कदर नादां न यूं बेखबर होता।"रैना"
आसान मेरी जिन्दगी का सफर होता,
गर दिल मिरा ये गुल नही पत्थर होता।
फिर तो चमन ही जिन्दगी का महक जाता,
जो बावफा हमदर्द वो हमसफर होता।
जब इश्क का वो रंग चढ़ता ढंग बदले,
इन्सान फिर खुद से परे बेखबर होता।
कुछ दौर ऐसा चल पड़ा बदली हवा है,
सब कुछ मिला फिर भी नही अब सबर होता।
'रैना"कभी तो सोच लेता बैठ तन्हा,
तू इस कदर नादां न यूं बेखबर होता।"रैना"
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