Thursday, April 4, 2013

दोस्तों आप की खिदमत में

तू हमें दिल से लगाये रखना,
फ़कत मरने से बचाये रखना।
कदर हिम्मत की जमाने में है,
आस का दीपक जलाये रखना।
दिल नजारों पे फ़िदा हो जाता,
दिल बहारों से बचाये रखना।
हाथ मिलते बात कब बनती है,
तार दिल के तुम मिलाये रखना।
ये मुसाफिर लौट आते अक्सर,
तुम तलब दिल की बढ़ाये रखना।
बख्श खुशियाँ गम कभी मत देना,
पैरों से अपने लगाये रखना।"रैना"

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