Saturday, April 27, 2013

eri aankhon se

मेरी आँखों से टपके खूं,
तेरी यादें जब छेड़े हैं।"रैना"

 इक हम  दीवाने नही तेरे,
सारा शहर ही शायरी करता हैं।"रैना"

क्यों रोकते हो रास्ता मेरा,
मैं सफर शुरू करना चाहता हूं,
जीने की तमन्ना है मेरी,
इसलिए पहले मरना चाहता हूं।
बेशक यही दस्तूर जमाने का,
जो सिकन्दर की राह पकड़ता है,
वो ही तो शान से जीता है।"रैना"

 दोस्तों की ये मेहरबानी है,
देखो हम भी शायर हो गये।"रैना"

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