Tuesday, April 9, 2013

gar teri najr hogi to but bolege

दोस्तों सुबह की पहली ग़ज़ल

इक और तू एहसान कर दे,
पूरा मिरा अरमान करदे।
गर तू निभाता ही नही तो,
फिर तू मुझे बेजान कर दे।
भगवान मैं इन्सान कब हूं,
शैतान को इन्सान कर दे।
मैं भी फ़िदा हूं इक तुझी पे,
जारी यही फरमान कर दे।
फरियाद मेरी सुन खुदा तू,
गम से मुझे अनजान कर दे।
"रैना"लुटा दिल जान अपनी,
मां पे सर्व कुरबान कर दे।"रैना"
सुप्रभात जी ...........जय जय मां

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