दोस्तों सुबह की पहली ग़ज़ल
इक और तू एहसान कर दे,
पूरा मिरा अरमान करदे।
गर तू निभाता ही नही तो,
फिर तू मुझे बेजान कर दे।
भगवान मैं इन्सान कब हूं,
शैतान को इन्सान कर दे।
मैं भी फ़िदा हूं इक तुझी पे,
जारी यही फरमान कर दे।
फरियाद मेरी सुन खुदा तू,
गम से मुझे अनजान कर दे।
"रैना"लुटा दिल जान अपनी,
मां पे सर्व कुरबान कर दे।"रैना"
सुप्रभात जी ...........जय जय मां
इक और तू एहसान कर दे,
पूरा मिरा अरमान करदे।
गर तू निभाता ही नही तो,
फिर तू मुझे बेजान कर दे।
भगवान मैं इन्सान कब हूं,
शैतान को इन्सान कर दे।
मैं भी फ़िदा हूं इक तुझी पे,
जारी यही फरमान कर दे।
फरियाद मेरी सुन खुदा तू,
गम से मुझे अनजान कर दे।
"रैना"लुटा दिल जान अपनी,
मां पे सर्व कुरबान कर दे।"रैना"
सुप्रभात जी ...........जय जय मां
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