मोहताज माँ पूछे बेटों से कोन खाना देगा मुझे,
कल तक अकेली भरती थी पेट चार बेटों का।"रैना"
निराशा हरगिज नही रहती पास शायर के,
अँधेरे में क्या कभी किताबे लिखी जाती है।"रैना"
कल तक अकेली भरती थी पेट चार बेटों का।"रैना"
निराशा हरगिज नही रहती पास शायर के,
अँधेरे में क्या कभी किताबे लिखी जाती है।"रैना"
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