Tuesday, April 16, 2013

meri aankhon

दोस्तों ये ग़ज़ल गम में डूबी

दहकती आग दिल की जलाये मुझे
गम बहुत चैन पल भी न आये मुझे।
पीठ पे वार कर हाल भी पूछते,
अब खुदा दोस्तों से बचाये मुझे।
क्या हुआ मैं कभी सोचता ही नही,
वो कहानी जमाना सुनाये मुझे।
जिन्दगी का सफर हो हसीं दूर तक,
काश वो रास्ता अब दिखाये मुझे।
हम भला बात कैसे जफा की करे,
बेवफा रात भर हैं जगाये मुझे।
बिन तिरे सोचते जान दे दे अभी,
देख लो मौत फिर भी न आये मुझे।"रैना"





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