दोस्तों इस रचना को पढ़ कर
सोच विचार जरुर करना
मेरे पास कुछ नही था लिखने के लिये,
दोस्तों ने पर दिये मुझे उड़ने के लिये।
बेशक मैं भी बहुत कुछ पा लेता यारों,
मेरा सिर माना नही झुकने के लिये।
वो मेरे घर आया था रहने को लेकिन,
मैं ही उसे कह न पाया रुकने के लिये।
तेज हवा अक्सर धमकाती डराती है,
चिराग तो तैयार नही बुझने के लिये।
बच्चा लड़ाई कर के घर दौड़ आया,
माँ का आंचल काफी छिपने के लिये।
दुश्मनों भारत माँ की तरफ मत देखो,
लाखों तैयार दीवाने मर मिटने के लिये।
इन नेताओं की बातों में मत आना,
ये हाथी के दन्त सिर्फ दिखने के लिये।
"रैना"चलता जा तू नेक राह पे सदा,
रास्ता बना ले तू उसे मिलने के लिये।"रैना"
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