दोस्तों लो प्यारी सी ग़ज़ल
गम है मगर कोई गिला नही,
फिर क्या हुआ जो वो मिला नही।
हैं फूल गुलशन में खिले बहुत,
वो गुल नसीबों का खिला नही।
माँ बाप अपने हाल से दुखी,
मिलता वफा का अब सिला नही।
मुश्किल बहुत ये इश्क की डगर,
आशिक का तो होता भला नही।
"रैना"कभी तू सोच रात की,
खुद से कभी क्यों तू मिला नही।"रैना"
गम है मगर कोई गिला नही,
फिर क्या हुआ जो वो मिला नही।
हैं फूल गुलशन में खिले बहुत,
वो गुल नसीबों का खिला नही।
माँ बाप अपने हाल से दुखी,
मिलता वफा का अब सिला नही।
मुश्किल बहुत ये इश्क की डगर,
आशिक का तो होता भला नही।
"रैना"कभी तू सोच रात की,
खुद से कभी क्यों तू मिला नही।"रैना"
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