मजदूर दिवस पर विशेष
बेवजह करते गुमान रहते मगरूर है,
सही मायनों में हम सब ही मजदूर हैं।
कलम चला रहा कोई करता दिहाड़ी हैं,
कर्म तो बांटती ये किस्मत हमारी है।
मजदूर हम सब कोई छोटा न बड़ा हैं,
किसी की क्या दोष फैसला उसने करा है।
मजदुर दिवस पर ये प्रण लेना चाहिये,
अपने कर्म को सही अंजाम देना चाहिये।
"रैना"इस लिए तो हो रहा मशहूर है,
क्योकि वो अपनी माँ का मजदूर है। "रैना"
बेवजह करते गुमान रहते मगरूर है,
सही मायनों में हम सब ही मजदूर हैं।
कलम चला रहा कोई करता दिहाड़ी हैं,
कर्म तो बांटती ये किस्मत हमारी है।
मजदूर हम सब कोई छोटा न बड़ा हैं,
किसी की क्या दोष फैसला उसने करा है।
मजदुर दिवस पर ये प्रण लेना चाहिये,
अपने कर्म को सही अंजाम देना चाहिये।
"रैना"इस लिए तो हो रहा मशहूर है,
क्योकि वो अपनी माँ का मजदूर है। "रैना"
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