Wednesday, February 6, 2013

jindgi pe

रंग विषय पर विशेष ग़ज़ल
तव्वजों चाहुगा जी,

जिन्दगी पे हुआ करम तेरा,
भूल सकते नही रहम तेरा,
काश तेरी लगी लगे दिल पे,
रंग मुझ पे चढ़े सनम तेरा।
क्यों परेशां भटक रहा तन्हा,
इश्क उससे यही धरम तेरा।
दूर होते तभी झमेले हैं,
आदमी जब मिटे भरम तेरा।
डूबते की मदद इबादत है,
भूल जाना नही धरम तेरा।"रैना"

2 comments:

  1. बहुत उम्दा ग़ज़ल बहर और काफिये पर सही पकड़ है आपकी दाद कबूलेन रैना जी

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  2. comment box se word verification hata den please time waste hota hai.

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